Shani Dev Afraid Story
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दुनिया में है जिनका खौफ, वो शनिदेव किन-किनसे डरते हैं? जानिए

Shani Dev Afraid Story

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शनिदेव, जिनका नाम तक जहन में आते ही लगता है कि कोई गलती न हो जाए| क्योंकि शनिदेव को गलती कतई पसंद नहीं और उन्हें क्रोध बड़ी जल्दी आ जाता है| बतादें कि, शनिदेव को न्याय के देवता की संज्ञा भी दी गई है| दरअसल, पौराण‍िक कथाओं में वर्णन के अनुसार, कहा जाता है कि शनिदेव कर्मफल प्रदाता हैं, दुनिया में लोगों के कर्मों को देखने की और फिर उनका वैसा ही हिसाब करने की बड़ी जिम्मेदारी शनिदेव के हाथ में हैं| इसलिए शनिदेव लोगों के कर्मों को भांपते हुए उन्हें राजा जैसी अवस्था में भी पहुंचा देते हैं और किसी की राजा जैसी अवस्था से रंक जैसी अवस्था भी कर देते हैं| यानि शनिदेव का दंड बड़ा पीड़ादायक होता है| इसके साथ ही शनिदेव के बारे में सबसे बड़ा जो वर्णन मिलता है वह है उनकी दृष्टि और दशा के बारे में ....

कहते है कि शनिदेव की खराब दृष्टि और दशा का लगना बेहद घातक है| मनुष्य घोर पीड़ा के बीच पहुंच जाता है| हालांकि, शनिदेव किसी मनुष्य पर अगर खुश हो जाएं तो और अच्छी दृष्टि से देखें तो उस मनुष्य पर खुशहाली के बादल मंडराते देर नहीं लगते|

शनिदेव किन-किनसे डरते हैं? जानिए

शनिदेव के बारे में जो वर्णित है, उसे देखते हुए दुनिया के लोग शनिदेव से भय खाते हैं और उन्हें खुश रखने के लिए उनकी पूरे विधान से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं| ताकि शनिदेव खुश रहें और विपत्तियों की वर्षा न करें| लेकिन क्या आपको पता है कि शनिदेव को भी भय लगता है| जानिए पौराण‍िक कथाओं में वर्णन के मुताबिक,  शनिदेव भी किस-किससे डरते हैं|

शनिदेव ऋषि पिप्लाद से डरते हैं ....

पौराण‍िक कथाओं में ऋषि पिप्लाद के एक वर्णन मिलता है| जिसके अनुसार, बताया गया है कि ऋषि पिप्लाद जब काफी छोटे थे तभी उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी| इधर,  ऋषि पिप्लाद जब बड़े हुए तो उन्हें पता चला कि शनि की दशा के कारण ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। इस बात को जानकर पिप्लाद काफी क्रोधित हुए और ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने लगे| वहीं, जब ब्रह्माजी प्रसन्न होकर ऋषि पिप्लाद के सामने प्रकट हुए तो ऋषि पिप्लाद ने उनसे ब्रह्मदंड मांगा और पीपल के पेड़ में बैठे शनिदेव पर ब्रह्मदंड से प्रहार कर दिया| बताते हैं कि इससे शनि के पैर टूट गए। जिसके बाद शनिदेव कष्ट में आ गए और उन्होंने भगवान शिव की शरण ली तब जाके भगवान शिव ने शनि को कष्ट से मुक्त किया| इधर, तभी से शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे और पीपल की पूजा करने वालों को कष्ट नहीं पहुंचाते|

भगवान हनुमान .....

भगवान हनुमान के बारे में तो आप जानते ही होंगे कि भगवान हनुमान से शनिदेव कैसे भय खाते हैं| भगवान हनुमान ने शनि देव को रावण की कैद से मुक्ति दिलाई थी। उस समय शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वह कभी भी उनके ऊपर अपनी द्रष्टि नहीं डालेंगे। लेकिन एक समय में शनिदेव अपने वचन को भूल गए और वह हनुमान जी को ही साढ़े साती का कष्ट देने पहुंच गए। ऐसे में हनुमान जी ने अपना दिमाग लगाकर उन्हें अपने सिर में बैठने की जगह दी। जैसे ही शनिदेव हनुमान जी के सिर पर बैठ गए वैसे ही उन्होंने एक भारी-भरकम पर्वत उठाकर अपने सिर पर रख लिया। जहां शनिदेव पर्वत के भार से दबकर कराहने लगे और हनुमान जी से क्षमा मांगने लगे। जिसके बाद शनिदेव हनुमान जी के ऊपर से उतर गए और शनि ने वचन दिया कि वह हनुमान जी के साथ-साथ उनके भक्तों के कभी नहीं सताएंगे| जहां हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव कष्ट नहीं पहुंचाते|

भगवान शिव .....

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर को शनिदेव का गुरु कहा जाता है| भगवान शंकर ने ही शनिदेव को पद-प्रतिष्ठा दी| भगवान शंकर शनिदेव को सबक भी सिखा चुके हैं और उन्हें सही रास्ते पर लाये हैं| इसीलिए भगवान शंकर की पूजा करने वालों पर शनि हावी नहीं होते| उन्हें परेशां नहीं करते| शनिदेव खुद भगवान शंकर की पूजा में लीन रहते हैं|